महाकुंभ मानते क्यों हैं,

महाकुंभ मानते क्यों हैं,
 आपने कभी ना कभी समुद्र मंथन के बारे में सुनाई होगा, जो आज से कई हजार साल पहले देवताओं और असुरों के बीच में हुआ था! , इस समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत कलश निकला तब देवताओं और असुरों के बीच घमासान युद्ध हुआ, और 12 दिन तक असुर देवताओं का पीछा करते  उस अमृत कलश को पाने के लिए, और इसी दौरान कलश में से चार बंदे धरती के चार अलग-अलग जगह पर गिरी, जिसमें उज्जैन नासिक हरिद्वार और प्रयागराज शामिल है, और तब से अब तक इंचार्ज गांव में कुंभ मनाया जाता है,, भव्य आयोजन किया जाता है,
 कुंभ तीन प्रकार के होते हैं, अर्ध कुंभ जो 6 साल में एक बार होता है,
 पूर्ण कुंभ जो 12 साल में एक बार होता है, और
 महाकुंभ, यानी की पूर्ण कुंभ जब बार-बार कंप्लीट होता है तब एक बार महाकुंभ आता है, यानी पूरे 144 साल बाद,
 और यह सौभाग्य हमें 2025 में मिला है,
 और जितना 1000 अश्वमेध यज्ञ, 100 वाजपेई यज्ञ, और 100000 पृथ्वी की परिक्रमा करने पर जो पुण्य प्राप्त होता है, वह इस महाकुंभ में मात्र एक बार स्नान करने से प्राप्त हो जाएगा,
 अभी जो महाकुंभ हो रहा है वह 13 जनवरी से लेकर 25 फरवरी 2025 तक हो रहा है,
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